अन्तर्वासना की दुनिया के सभी पाठकों को मेरा लंडवत प्रणाम. मैं हैरी आप सभी के साथ अपनी पुरानी यादें ताजा करने के लिए हाजिर हूँ.
बचपन से ही मेरी एक सैटिंग थी, उसका नाम स्वाति था. हम दोनों का घर पास पास में ही सटा हुआ था. मेरी मम्मी और उसकी मम्मी अच्छी सहेलियां थीं.
जब हम बड़े हुए और प्यार का असली मतलब समझे, तो हम भी औरों की तरह बाहर अकेले मिलने के बहाने ढूँढने लगे. हम दोनों ऑटो से एक ही जगह कोचिंग में पढ़ने जाते थे. ऑटो में हम साथ साथ ही बैठते थे और अपने पैरों के ऊपर बैग रख लेते थे. उसके बाद मैं अपने हाथ बैगों के नीचे से ले जाकर उसकी जांघों पर फिराने लगता. पहले तो वो मुझे गुस्से से घूरती, लेकिन थोड़ी देर बाद वो भी इस गेम को इंजाय करने लगती. उस समय उसका चेहरा देखने लायक होता था, क्योंकि वो सबके सामने मजे से सीत्कार ‘आह.. ऊह..’ नहीं सकती थी. जब ज्यादा गरम हो जाती थी तो वो अपनी मुट्ठियों को कसके दाब लेती, तब मैं समझ जाता कि अब आगे करना सही नहीं है वरना वहीं मेरे नाम की सीत्कारें ‘हाय हैरी, उफ्फ हैरी..’ गूंजने लगेंगी.
दोस्तो इस प्रकार मैं ऐसी शरारतें उसके साथ हमेशा करता रहता था क्योंकि इसी में असली मजा है.
ये तो थी पृष्ठभूमि, चुदाई की कहानी कैसे घटी.. ये बताता हूँ. उस समय कक्षा 12 की पढ़ाई चल रही थी.
एक दिन सुबह करीब 10 बजे के आस-पास स्वाति के मम्मी पापा और उसका इकलौता छोटा भाई शोभित बाइक से कहीं जा रहे थे. उस दिन 2 अक्टूबर था, मतलब शोभित का बर्थडे था. मैंने मन में सोचा.. और तुरंत छत पर आ गया, एक पल के लिए ठिठका और छत को फांदकर स्वाति के घर की छत पे चला गया. उसके बाद मैं सीढ़ियों से उतर कर घर में घुस गया. मुझे बाथरूम से पानी गिरने की आवाज सुनाई दी.
मैं समझ गया कि साहिबा बाथरूम में है. मैंने कुछ सोचा और बाथरूम की ओर बढ़ चला. मैंने बाथरूम के दरवाजे को हल्का सा धक्का दिया तो वो खुल गया, उसने सिटकनी नहीं लगाई थी. उसका मुँह दूसरी तरफ था और वो शावर ले रही थी. वो मुझको देख नहीं पाई.. मैं पीछे से ही उसके नंगे बदन को देखने लगा. गोरा बदन, पतली कमर, बाहर को निकली हुई गांड.. आह मेरा मन तो कर रहा था, बस कपड़े उतारूं और मैदान में कूद जाऊं.
मैंने उसके नंगे जिस्म के मजे लेते हुए बाथरूम के दीवार से सट के कहा- तुम तो बिना कपड़ों के और भी खूबसूरत लगती हो, तुम हमेशा ऐसे ही क्यों नहीं रहती.
वो चौंक कर पीछे मुड़ी, उसकी साँसें थोड़ी तेज हो गई थीं, जिससे उसकी चूचियां ऊपर नीचे हो रही थीं.
उसने हैरान होते हुए पूछा- तुम! तुम यहां क्या कर रहे हो?
मैं अपने लंड को सहलाते हुए बोला- अरे मेरी जान, तेरे मम्मी पापा और मेरा छोटा साला बाइक से बाहर गया है, तो मैं अपनी डार्लिंग से मिलने चला आया.
यह सुनने के बाद वो अपने शरीर पे टावेल लपेटते हुए बोली- तुम कभी नहीं सुधरोगे.
मैंने कहा- अरे बिना टावेल के इतनी अच्छी तो लग रही थी.. और पहली बार तो मैंने तुझे न्यूड देखा है यार, ढंग से देखने तो दे.
वो मुझे झिड़की देते हुए बोली- चलो बाहर निकलो..
वो मुझे बाहर धकेलने लगी. इसी छीना झपटी में हम दोनों हॉल में आ गए.
मैंने उसे छेड़ते हुए कहा- तेरी चूचियां तो बहुत बड़ी हो गई हैं, किसी से दबवा रही है क्या?
वो चिढ़ कर बोली- हां तेरे हाथों का ही कमाल है.. अच्छा तुझे किसी ने देखा तो नहीं न..!
मैंने उसकी बात को अनसुना करते हुए कहा- तेरे घर पे आया हूँ, कुछ खाने पीने को नहीं पूछेगी?
वो बोली- हां तू कोई मेहमान थोड़े न है, कुछ खाना है तो बोल?
मैंने कहा- हां मैं कौन सा मेहमान हूँ, ये तो मेरे ससुर का घर है.. अच्छा चल दूध पिला दे.
वो मुझे घूरने लगी.
मैंने उसके मम्मों को देखते हुए कहा- अरे, मैं सीरियसली कह रहा हूँ, तेरे इनमें तो अभी दूध नहीं आया है तो मैं तेरी चूचियों के दूध पीने की बात क्यों करूंगा.
इतना सुनते ही वो मुँह बनाते हुए किचन की ओर जाने लगी. उसका गीला बदन और उसकी नंगी जांघें मस्त लग रही थीं. मैं भी उसके पीछे पीछे किचन की ओर चला गया. वो किचन में दूध निकालने लगी.
मैंने कहा- अच्छा सुन, शहद है क्या?
बोली- अब शहद का क्या करेगा तू हैरी?
मैं- अरे दूध में शहद मिला के पीने से वो वियाग्रा का काम करता है.
उसने एक तरफ इशारा करते हुए कहा- तू कहां से ये फालतू बातें सुन के आता है. देख वहीं ऊपर में कहीं होगा.
मैंने शहद निकाला और उसको अपनी तर्जनी उंगली से चाटते हुए स्वाति को देखने लगा. वो दूध का गिलास लेकर मेरे सामने खड़ी थी. मैंने दूध का गिलास लिया और एक ही सांस में पी गया.
मैं- चल दूध पीने की रस्म पूरी हुई, अब हमारी सुहागरात की बारी है.
वो- क्या?
मैं- कुछ नहीं स्वाति डार्लिंग.
मैं उसको उठाके मैं उसके बेडरूम में गया और स्वाति को बेड पे पटक दिया. मैं अपने कपड़े उतारने लगा.
तो उसने कहा- देख हैरी अब तक तो सब सही है, लेकिन चुदाई का तू सोचना भी मत, कुछ हो गया तो?
मैंने कहा- अरे कुछ नहीं होगा, मैं स्पर्म गिरने से पहले ही अपना लंड निकाल लूंगा.
मैं अब तक अंडरवियर पे आ चुका था. फिर बेड पे जाके मैं उसको किस करने लगा. थोड़ी देर बाद वो भी सपोर्ट करने लगी. मैंने उसका टावेल उतार दिया और किस करते हुए एक हाथ से उसकी चूचियां दबाने लगा. उसका एक हाथ मेरे सर पे था तो दूसरा मेरे पीठ पे.
मैं किस करते हुए उसको चुचियों की तरफ आया और अपने मुँह में एक चूची को भरके चूसने लगा.
स्वाति ‘आह.. ऊह.. हैरी..’ कर रही थी.
तभी मैंने नीचे गिरे पैंट की जेब से शहद की डिबिया निकाली और शहद निकाल के उसकी दोनों चूचियों के निप्पलों पे लगा दिया. फिर बारी बारी से उसके चूचियों को चूसने लगा. स्वाति की सीत्कारें रूम में चारों तरफ गूंज रही थीं.
मैं चूचियों से होता हुआ नीचे आया और उसकी नाभि पे आके रूक गया. फिर वहां पे शहद लगा कर जीभ से चाटने लगा. कुछ देर ऐसा करने के बाद मैं उसके कुंवारी चूत पे आया. मैं उसकी चूत के दोनों पंखुड़ियों को अपनी उंगलियों से फैलाकर देखने लगा. छोटी सी, नन्ही-मुन्ही सी, गुलाबी चूत मेरे सामने थी. मैंने सोचा कि इसी छोटी सी चूत के लिए न जाने कितने रेप मर्डर और जंग हो जाती हैं.
फिर अपनी सोच को विराम देते हुए मैंने ढेर सारा शहद उसकी चूत पे लगा दिया और उंगलियों से चूत के अन्दर भी डाल दिया. इसके बाद मैंने एक लंबी साँस ली और अपना मुँह उसके चूत पे लगा दिया. मैं जोर जोर से उसकी चूत को चाटने-चूसने लगा और बीच बीच में अपनी जीभ उसकी चूत के अन्दर तक फिरा देता.
ऐसा करने से वो पागल सी हो गई और कहने लगी- हैरी, आज तो तू मेरी जान ले लेगा.
अब तक मेरा लंड भी एकदम तन कर रॉड बन गया था, जो अंडरवियर में जकड़ा हुआ था. मैंने लंड को निकाला और स्वाति के पास जाके उसके कान में धीरे से कहा- बेबी शुरुआत में थोड़ा दर्द होगा, संभाल लेना.. ज्यादा दिक्कत हो तो बता देना, मैं रूक जाऊंगा.
उसने आंख बंद करके ही ‘हूँ..’ कहा.
मैं नीचे आया और उसकी गांड के नीचे तकिया लगा कर उसके पैर फैला दिए. थोड़ा शहद उसकी चूत के अन्दर दो उंगलियों से डाल के अन्दर-बाहर करने लगा.
स्वाति अपने दोनों हाथों से बेडशीट पकड़े हुए थी.
फिर मैंने अपने लंड पे शहद लगाया और उसके चूत पे टिका दिया और लंड को ऊपर-नीचे उसकी चूत पे रगड़ने लगा.
उसने आंख बंद करके ही कहा- हैरी डाल भी दो न, क्या कर रहे हो!
मैं भी उसकी बात को सुनके एकदम जोश में आ गया और पूरा लंड एक बार में ही डाल दिया.
उसकी चीख निकल गई- आऽऽऽ.. हैरी.. मर जाऊंगी मैं!
मैंने सोचा अब पीछे हटना सही नहीं है और उसकी चीखों की परवाह किए बिना मैं धक्के पे धक्का लगाने लगा.
उसकी मुट्ठी बेडशीट को एकदम से जकड़े हुई थी.
स्वाति का ये पहली बार था तो उसकी चूत कसी हुई थी और मेरा भी पहला ही था.. सो उसकी कसी चूत में मेरा टिके रह पाना मुश्किल था.
कुछ देर धक्के लगाने के बाद मैं झड़ने वाला था, तो मैं बोला- बाबू… मैं आ रहा हूँ.
स्वाति जिसको अब उतना दर्द नहीं था, उसने आंख खोलते हुए कहा- अन्दर नहीं, बाहर ही निकालना.
मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसके पेट पे अपना पूरा माल उड़ेल दिया. फिर उसके बगल में ही निढाल होके गिर गया. हम दोनों की ही साँसें तेज चल रही थीं.
कुछ देर बाद स्वाति ने कहा- हैरी..
मैंने उसको देखा तो उसके एक हथेली पे खून लगा था.
मैंने कहा- ये क्या है?
उसने मुझे देखते हुए कहा- मेरा चूत का लॉक किसी ने तोड़ दिया..
मैंने हंसते हुए कहा- अच्छा! मैं तो सोच रहा था कि तेरा लॉक पहले से ही किसी तोड़ दिया है. चल आज साबित हो गया कि तू सिर्फ मेरी है और मुझको धोखा नहीं दे रही है.
उसने मुझे गुस्से में देखा.
मैं- अरे, मजाक कर रहा हू डार्लिंग. अच्छा सुन न लॉक तो खुल ही गया है.. लो मेरे चूहे को एक बार फिर से अपने घर में घुसने दे न.
वो- नहीं.. बार-बार मैं ये रिस्क नहीं ले सकती. किसी बार तू अन्दर ही छूट गया तो!
मैंने नीचे गिरे पैंट से कंडोम का पैकेट निकाला.
वो देख के बोली- तो पहले क्यों नहीं लगाया इसको?
मैं- अरे हम दोनों का पहली बार था, सो मैं इस एहसास को फील करना चाहता था. अच्छा मजा आया कि नहीं ये बता?
उसने मुझे प्यार से देखते हुए कहा- ह्म्म्म… मजा तो बहुत आया लेकिन दर्द भी तो हुआ न!
मैंने उसके ऊपर चढ़ते हुए कहा- अरे पहली बार तो होता है यार, लेकिन अब दर्द नहीं होगा. देखना है तुझे?
उसने मुझे अपने ऊपर से धकेलते हुए कहा- तुम लड़कों का कभी पेट नहीं भरता, सही कहा है किसी ने, तुम लोगों का दिल और दिमाग दोनों तुम लोगों के पैंट के अन्दर होता है.
मैं- बाबू प्लीज न, मान जाओ न.
फिर मैं उसके होंठों को किस करने के लिए जैसे ही आगे बढ़ा कि ‘टिन-टिन..’ डोरबेल की आवाज आई.
स्वाति ने उठते हुए कहा- हैरी अब तू भाग ले..
मैं उठा और झट से अंडरवियर और पैंट पहन कर स्वाति के होंठों को प्यार से किस किया. फिर अपना टी-शर्ट उठाते हुए कहा- मैंने अपनी इज्जत तुझे आज सौंप दी स्वाति, प्लीज मुझे धोखा मत देना.
मैं उसको आंख मारते हुए, मुस्कुराते हुए मैं सीढ़ियों की ओर बढ़ चला.